Singer: Lata Mangeshkar
ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
छुप के सीने में कोई जैसे सदा देता है
शाम से पहले दिया दिल का जला देता है
है उसी की ये सदा है उसी की ये अदा
कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
शक्ल फिरती है निगाहों में वो ही प्यारी सी
मेरी नस-नस में मचलने लगी चिंगारी सी
छू गई जिस्म मेरा किसके दामन की हवा
कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
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