Singer: Ghulam Ali
इक दिया दिल में जलाना भी बुझा भी देना
याद करना भी उसे रोज़ भुला भी देना
क्या कहूँ यह मेरी चाहत है के नफरत उसकी
नाम लिखना भी मेरा लिख के मिटा भी देना
खत भी लिखना उसे मायूस भी रहना उससे
जुर्म करना भी मगर खुद को सज़ा भी देना
उससे मनसूब भी कर लेना पुराने किस्से
उसके बालों में नया फूल सजा भी देना
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