Singer: Lata Mangeshkar
ना जाने क्या हुआ जो तूने छू लिया
खिला गुलाब की तरह मेरा बदन
निखर निखर गई सँवर सँवर गई
बनाके आईना तुझे ऐ जानेमन
ना जाने क्या हुआ जो तूने छू लिया
बिखरा है काजल फ़िज़ा में भीगी भीगी हैं शामें
बूँदों की रिम-झिम से जागी आग ठंडी हवा में
आजा सनम ये हसीँ आग हम लें दिल में बसा
आँचल कहाँ मैं कहाँ हूँ ये मुझे होश क्या है
ये बेख़ुदी तूने दी है प्यार का ये नशा है
सुन ले ज़रा साज़-ए-दिल गा रहा है नग़मा तेरा
कलियों की ये सेज महके रात जागे मिलन की
खो जाएँ धड़कन में तेरी धड़कनें मेरे मन की
आ पास आ तेरी हर साँस में मैं जाऊँ समा
No comments:
Post a Comment